शुक्रवार, 14 मई 2021

भारत में कब लॉन्च होगा 5G?

इस सवाल का जवाब अभी साफ तौर पर नहीं दिया जा सकता है। जहां जियो इस साल के आखिर में 5G लॉन्च की तैयारी कर रहा है, वहीं एयरटेल का मानना है कि डोमेस्टिक टेलीकॉम मार्केट को 5G सेवाओं के लिए तैयार होने में 2 से 3 साल लग जाएंगे। इसके अलावा, सरकार ने भारत में अभी तक 5G स्पेक्ट्रम की सेल भी शुरू नहीं की है।

भारत में 5G फ्रिक्वेंसी बैंड


भारत में 5G फ्रिक्वेंसी बैंड अभी अनुपलब्ध है। टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) मार्च 2021 में 700 MHz से 2,500 MHz का ऑक्शन कर रही है लेकिन भारतीय टेलीकॉम ऑपरेटर्स के मुताबिक, यह अपर्याप्त और देश में 5 जी रोलआउट पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। टेलीकॉम 3,300-3,600 मेगाहर्ट्ज की स्पेक्ट्रम बिक्री की सलाह देता है, जिसकी परिकल्पना 5G नेटवर्क के लिए की गई है।

सोमवार, 30 अक्तूबर 2017

इस लिंक पे आप अपने गांव मे हुए सभी कार्यो की जानकारी देख सकते है किस काम मे कितना पैसा खर्च हुआ।

नीचे लिंक से आप ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य द्वारा आपके गाँव में कराये गये कार्य को देख सकते हैं, जो उन्होंने आपके गाँव में खर्च दिखाये हैं। भले हो व्यवहारिक स्तर पर वह कुछ भी न कराये हों।
http://www.planningonline.gov.in/ReportData.do?ReportMethod=getAnnualPlanReport

इस लिंक पे आप अपने गांव मे हुए सभी कार्यो की जानकारी देख सकते है किस काम मे कितना पैसा खर्च हुआ।
यह देखकर हैरान हो गया कि एक छोटे से भी काम के लिए सरकार कितना पैसा देती है। अब हमको जागरूक होने की जरूरत है। सभी जानकारियां सरकार ने ऑनलाइन वेबसाइट पे उपलब्ध करा दी है बस हमें उन्हें जानने की जरूरत है, यदि हर गांव के सिर्फ 2-3 युवा ही इस जानकारी को अपने गांव के लोगो को बताने लगे, समझ लो 50% भ्रष्टाचार तो ऐसे ही कम हो जाएगा। इसलिए आपसे गुजारिश है कि आप अपने गांव में वर्ष 2015-16, 2016-17, 2017-18 मे हुए कार्यो को जरूर देखें और इस लिंक को देश के हर गांव तक भेजने की कोशिश करे ताकि गांव के लोग अपना अधिकार पा सके।

एक बार अवश्य देखे व जाने कितनी मद आपके ग्राम सभा में प्रधानों ने खर्च की है।

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

क्या है भीम ऐप और कैसे ये काम करेगी ।



# BHIM (Bharat Interface for Money) ऐप UPI (Unified Payment Interface) और USSD (Unstructured Supplementary Service Data) का रीब्रांडेड वर्जन है.

# एंडॉयड यूजर्स के लिए ये ऐप प्ले स्टोर पर उपलब्ध है, जबकि आईफोन यूजर्स के लिए ऐप जल्द ही लॉन्च की जाएगी. सरकार का दावा है कि इस ऐप के जरिए लोग अपने मोबाइल फोन से कैशलेस पेमेंट कर सकेंगे, जो फास्ट, सिक्योर और रिलायबल होगा.

# ये आधार-बेस्ट पेमेंट ऐप है, जिसे नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने डेवलप किया है. इसकी मदद से आप दूसरी UPI ऐप्स और बैंक अकाउंट के साथ जानकारी साझा कर सकेगा. यानी आप दूसरी ऐप्स पर जाए बिना BHIM की मदद से पेमेंट कर पाएंगे.
कैसे यूज करें भीम

# प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड करने के बाद यूजर को अपना बैंक अकाउंट रजिस्टर करना होगा और एक UPI पिन जेनरेट करना होगा. इसके बाद यूजर का फोन नंबर ही उसका पेमेंट एड्रेस बन जाएगा. एक बार रजिस्टर होने के बाद आप BHIM के जरिए ट्रांजैक्शंस कर सकते हैं.
ऐप के जरिए किस तरह पैसे भेजे और रिसीव किए जा सकते हैं

आप अपने मोबाइल नंबर (पेमेंट एड्रेस) के जरिए दोस्तों, परिवार या कस्टर्मस से पैसे ले सकते हैं और उन्हें भेज भी सकते हैं. इससे पैसा उन बैंक में भी भेजा जा सकता है, जो UPI सपोर्ट नहीं करते हैं. ऐसा MMID और IFSC कोड का इस्तेमाल करते हुए किया जा सकता है. जरूरत पड़ने पर यूजर रिक्वेस्ट भेजकर पैसे कलेक्ट कर सकता है और पेमेंट रिवर्स भी कर सकता है.
कौन से बैंक BHIM ऐप सपोर्ट करते हैं

सरकार द्वारा जारी लिस्ट के मुताबिक ये बैंक भीम ऐप सपोर्ट करते हैं:
इलाहाबाद बैंक, आंध्रा बैंक, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, कैनरा बैंक, कैथलिक सीरियन बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, DCB बैंक, देना बैंक, फेडरल बैंक, HDFC बैंक, ICICI बैंक, IDBI बैंक, IDFC बैंक, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडसइंड बैंक, कर्नाटका बैंक, करूर वैश्य बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब नेशनल बैंक, RBL बैंक, साउथ इंडियन बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, विजया बैंक.
अन्य जानकारी

ऐप में यूजर के पास अपना बैलेंस चेक करने और ट्रांजैक्शंस की जानकारी देखने का भी ऑप्शन है. इसके अलावा यूजर अगर अपने फोन नंबर के अलावा कोई कस्टम पेमेंट एड्रेस क्रिएट करना चाहे, तो कर सकता है. पेमेंट एड्रेस की तेजी से एंट्री करने के लिए QR कोड का भी विकल्प है. सरकार का कहना है कि व्यापारी आसानी से QR कोड प्रिंट कर सकते हैं. भीम ऐप अभी तक दो भाषाओं: हिंदी और अंग्रेजी में है. लेकिन सरकार के मुताबिक इसमें दूसरी भारतीय भाषाएं भी जल्दी ही जोड़ी जाएंगी.
भारत में अभी तक 40 करोड़ आधार नंबरों को बैंक खातों से जोड़ा जा चुका है. भारत में व्यस्कों की संख्या इसकी दोगुनी है. सरकार का उद्देश्य 2017 में सभी बैंक खातों को आधार से जुड़वाना है, जिससे सभी BHIM का इस्तेमाल करते हुए कैशलेस इकॉनमी की तरफ बढ़ सकें.

सोमवार, 19 दिसंबर 2016

कंप्यूटर के बारे में छोटी छोटी बातें ।



1- माऊस व्हील एक तीसरा बटन
माऊस व्हील एक तीसरे बटन की तरह काम करता है। किसी भी लिंक पर माऊस व्हील को क्लिक करने से वह जालपृष्ठ सीधे एक नए टैब में खुल जाता है। किसी भी खुले हुए टैब पर माऊस व्हील क्लिक करने पर वह टैब बन्द हो जाता है।


2- बड़ा टेक्स्ट एक साथ सेलेक्ट करने के लिये
किसी भी टैक्स्ट एडिटर में बड़ा टेक्स्ट एक साथ सेलेक्ट करने के लिये टैक्स्ट के प्रारंभ में एक क्लिक करें और फिर शिफ्ट दबाकर अंत में एक बार क्लिक करें। इससे टेक्स्ट को आसानी से सेलेक्ट किया जा सकता है।


3- यू-ट्यूब पर प्रदर्शित वीडियो की गुणवत्ता कम ज्यादा कर के
हम उसके लोड होने का समय भी कम ज्यादा कर सकते हैं। और वीडियो को थोड़ा अच्छा या थोड़ा खराब देख सकते हैं। गुणवत्ता जितनी अच्छी होगी लोड होने में उतना अधिक समय लगेगा। वीडियो की गुणवत्ता प्लेयर के निचले दाएँ हिस्से में एक संख्या के रूप में लिखी होती है और उसी जगह क्लिक करके उसे बदला भी जा सकता है। ये संख्याएँ कुछ इस प्रकार होती हैं २४०p, ३६०p, ७२०p, १०८०p इत्यादि। जितनी बड़ी संख्या उतनी अच्छी गुणवत्ता।


4- कुंजी की सहायता से जालपृष्ठ को रिफ्रेश या रिलोड करना
F5 कुंजी से हम किसी भी जालपृष्ठ को रीफ्रेश या रीलोड कर सकते हैं।


5- कुंजी की सहायता से आगे पीछे के जालपृष्ठों पर जाना
Alt कुंजी के साथ <left arrow> या <right arrow> से हम पहले या बाद के जालपृष्ठ पर जा सकते हैं।


6- Ctrl कुंजी के साथ + और - दबाने से
किसी भी जालपृष्ठ के आकार (चित्र और अक्षर दोनों) को बड़ा या छोटा किया जा सकता हैं। बड़ा या छोटा करते हुए मूल आकार में लाने के लिए Ctrl + 0 का प्रयोग कर सकते हैं।


7- नए जालस्थल का पता लिखना हो तो-
बिना माऊस क्लिक किए Alt+D दबा कर हम एड्रेस बार पर पहुँच सकते हैं।
१४ नवंबर २०११


8- सभी ब्राउज़रों के लिये उपलब्ध XMarks (http://www.xmarks.com) एक्सटेंशन के द्वारा एक कंप्यूटर पर किसी एक ब्राउज़र में लगाये गये पुस्तचिह्न (बुकमार्क या फ़ेवरेट्स) अनेकों कंप्यूटरों तथा ब्राउज़रों पर एक साथ लाए जा सकते हैं। केवल उन सब जगह एक्समार्कस इन्सटॉल होना चाहिये। यही नहीं, इस एक्सटेंशन के द्वारा ब्राउज़िंग इतिहास, खुले टैब, तथा कूटशब्दों के साथ भी यही किया जा सकता है।


9- इंटरनेट पर चैट तथा बातचीत करने के लिए
कई अलग-अलग सॉफ़्टवेयर हैं जैसे कि गूगल टॉक, याहू मैसेंजर, स्काईप, इत्यादि। इन सबको अलग-अलग प्रयोग करने की जगह अगर पिडगिन (http://pidgin.im/ ) नामक मुक्त सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल किया जाय तो यह लगभग सभी चैट सॉफ़्टवेयर का काम अकेले ही कर सकता है। इसके द्वारा किसी भी ऐकाउंट से चैट की जा सकती है चाहें वो गूगल हो, हॉटमेल, याहू, फ़ेसबुक, या कोई और। यही नहीं इसमें एक ही बार में अनेक ऐकाउंट से चैट तथा बात की जा सकती है। इसका एक और आकर्षण यह है कि यह विंडोज़ के साथ-साथ अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे मैक ओ एस, लिनक्स, बी एस डी, इत्यादि पर भी उपलब्ध है।



10- गूगल प्लस
(Google+) फ़ेसबुक की तरह का एक सामाजिक जालस्थल है जिसे गूगल ने बनाया है। इसका प्रमुख आकर्षण यह है कि आपको आवश्यक रूप से अपने परिचितों को अलग-अलग "श्रेणियों" (Circles) में बाँटना होता है जो कि बड़ी आसानी से हो जाता है। हर श्रेणी में अलग जानकारी डाली (पोस्ट की) जा सकती है जो बाकी सभी श्रेणियों से छुपी रहती है |


11- कूटशब्द में अंकों व चिह्नों का प्रयोग
करने को अक्सर कहा जाता है लेकिन आजकल के हैकरों की उन्नत तकनीक और तेज़ कम्पयूटरों को आगे यह तभी उपयोगी है जब इन्हें मूल कूटशब्द की लम्बाई बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाए। इनकी जगह या इनके साथ कूटशब्द को सुरक्षित बनाने के लिए उसका लम्बा होना अधिक आवश्यक है। एक सरल लेकिन १५-२० अक्षर लम्बा कूटशब्द एक अंकों व चिन्हों वाले ८-१० अक्षर लम्बे कूटशब्द की तुलना में कई गुना अधिक सुरक्षित है।


12- अलग-अलग जालस्थलों के लिये
कभी भी एक ही कूटशब्द (पासवर्ड) का प्रयोग नहीं करना चाहिये क्योंकि अगर किसी भी कारणवश किसी एक जालस्थल का भी कूटशब्द हैक हो गया तो आपके अन्य जालस्थलों के कूटशब्द भी जाने जा सकते हैं। विशेष रूप से बैंक जालस्थलों के कूटशब्द बिलकुल अलग रखने चाहिये। कूटशब्दों के बारे में हम आगे भी बताते रहेंगे।


13- विज्ञापन रहित वेब यात्रा के लिये
AdblockPlus - मोज़िला फ़ायरफ़ॉक्स के लिये अत्यंत लाभदायक एक्सटेंशन है जो जालस्थलों से विज्ञापन हटा देता है। इससे जालस्थल काफ़ी साफ़-सुथरे दिखते हैं और बैंडविड्थ की भी बचत होती है। यह गूगल क्रोम के लिये भी उपलब्ध है।


14- चीज़े कैसे काम करती हैं-
इस बारे में जानकारी के लिये- Howstuffworks.com- एक उपयोगी जालस्थल है। इस जालस्थल पर चित्रों और चलचित्रों की सहायता से जानकारी को बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।


15- जालस्थल पर मानचित्र सेवा के लिये-
Maps.google.com उपयोगी है। खोज के लिए किसी जगह का नाम देने पर वहाँ का मानचित्र उपलब्ध हो जाता है जो एक देश जितने बड़े से लेकर कर एक मुहल्ले जितनी छोटी जगह के हो सकते हैं। यहाँ पर मानचित्र के साथ उपग्रह द्वारा लिए गए चित्र भी हैं। इस जालस्थल की एक और उपयोगिता यह है कि इस पर एक जगह से दूसरी जगह जाने के दिशा निर्देश भी मिल जाते हैं।


16- विकी क्या हैं?
ऐसे जालस्थल जिनके पन्नों में किसी भी तरह का बदलाव ब्राऊज़र में ही किया जा सकता है उन्हें विकी कहते हैं। कुछ प्रमुख विकी साईट्स हैं - विकीपीडिया, कविताकोश, भारतकोश।


17- यदि एनिमेशन वाले विज्ञापन रोकना चाहें तो-
फ्लैश ब्लॉक एक ऐसा ब्राऊज़र एक्सटेंशन है जो सभी फ्लैश सामग्री को रोक देता है। हालांकि अगर हम चाहें तो चुने हुए जालस्थलों पर फ्लैश चलाने की अनुमति भी दे सकते हैं।


18- सैकड़ों जाल-अनुप्रयोगों का भंडार
गूगल के ही जालपृष्ठ पर आई-गूगल (iGoogle) के नाम से सैकड़ों जाल-अनुप्रयोग उपलब्ध हैं। इनमें गूगल की सभी सेवाओं के साथ समाचार, मौसम, खेल, ज्योतिष आदि सभी कुछ अपनी रुचि के अनुसार जोड़ा जा सकता है। जालपृष्ठ का रंग-रूप भी इच्छानुसार बदला जा सकता है। इसका लिंक गूगल के मुखपृष्ठ (http://www.google.com) पर होता है पर अगर यह किसी कारणवश नहीं दिख रहा तो जालपृष्ठ के ऊपरी दायें कोने पर "Sign in" के बगल में पहिये पर क्लिक करें और विकल्पों में से iGoogle चुन लें। iGoogle से वापस साधारण गूगल पर जाना चाहें तो इसी पहिये पर क्लिक कर के "Google Classic" का विकल्प चुन सकते हैं।


18- डीफ्रैगमैंट करने का सॉफ़्टवेयर
वैसे तो विन्डोज़ में पहले से ही होता है परन्तु एक तो ये पीछे हो रही कार्यवाही को दर्शाता नहीं है और दूसरे यह बहुत अच्छा काम भी नहीं करता है। इसकी जगह काफी मुफ़्त सॉफ़्टवेयर उपलब्ध हैं जिनमें से हमारे कुछ पसंदीदा निम्नलिखित हैं-
१. माय डीफ्रैग ( http://www.mydefrag.com)- इसकी विशेषता यह है कि यह फ़ाईलों को पहचान कर उनके बढ़ने के लिए जगह बनाकर रखता है जिसके कारण फ़ाईलें दुबारा कम बिखरती हैं। इसका मुक्त होना भी एक आकर्षण है।
२. डीफ्रैगलर ( http://www.piriform.com/defraggler)- यह इस्तेमाल करने में आसान है और अपना काम काफ़ी तेज़ी से करता है। बहुत बड़ी (कई GB की) फ़ाईलों में इसे दिक्कत हो सकती है।


20- हार्ड डिस्क को डीफ्रैगमैंट करने की आवश्यकता-
काफी समय तक काम करते रहने पर हार्ड डिस्क पर लिखी हुई फाईलें बिखर जाती है और कई टुकड़ों में बँट भी जाती हैं। इस कारण कम्पयूटर की गति धीमी हो जाती है। इससे बचने के लिए कम से कम महीने में एक बार हार्ड डिस्क को डीफ्रैगमैंट अवश्य करना चाहिए। डीफ्रैगमैंट करने के विभिन्न सॉफ़्टवेयरों की जानकारी अगले सप्ताह देंगे।


21- नॉर्टन तथा मैक ऐफी जैसे महँगे ऐंटी वाईरस की जगह मुफ्त के अनेक ऐंटी वाईरस उपलब्ध हैं जो गुणवत्ता में किसी भी तरह से कम नहीं हैं। इनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं-
१. अवास्ट फ़्री ऐँटी वाईरस - http://www.avast.com/free-antivirus-download
२. अविरा ऐंटीविर पर्सनल फ़्री ऐँटी वाईरस - http://www.avira.com/en/avira-free-antivirus
३. माईक्रोसॉफ़्ट सिक्योरिटी एसेन्शियल्स - http://www.microsoft.com/en-in/security_essentials/default.aspx
४. पांडा क्लाउड ऐँटी वाईरस - http://www.cloudantivirus.com/en/
५. कोमोडो इंटरनेट सिक्योरिटी प्रीमियम - http://www.comodo.com/home/internet-security/free-internet-security.php


22- विन्डोज़ विस्टा तथा विन्डोज़ ७ में
किसी खुली विन्डो को माऊस से हिलाने पर बाकी खुली विन्डोज़ मिनिमाईज़ हो जाती है। दुबारा हिलाने पर ये सभी विन्डोज़ वापस आ जाती हैं।


23- विन्डोज़ विस्टा तथा विन्डोज़ ७ में
किसी खुली विन्डो को माऊस से स्क्रीन के ऊपरी किनारे पर ले जाने पर वह विन्डो मैक्सिमाईज़ होकर पूरे स्क्रीन पर आ जाती है।


24- विन्डोज़ विस्टा तथा विन्डोज़ ७ में
किसी खुली विन्डो को माऊस से स्क्रीन के बाएँ या दाएँ किनारे पर ले जाने पर वह विऩ्डो स्क्रीन के पूरे आधे भाग में व्यवस्थित हो जाती है।


25- एक से अधिक विंडो खुली होने पर उनमें घूमने के लिए   Alt + Tab का प्रयोग करते हैं। विन्डोज़ विस्टा तथा विन्डोज़ ७ में Windows + Tab से यह काम त्रि-आयामी (3D)तरीके से बड़े रोचक ढंग से किया जा सकता है।


26- रेखा चित्रण के लिये
कोरेल ड्रॉ का बहुत ही अच्छा विकल्प इन्कस्केप नाम का अनुप्रयोग है। यह मुफ्त और मुक्त है और व्यवसायिक कलाकार भी इसका प्रयोग करते हैं। यह http://inkscape.org/ पर उपलब्ध है।


27- निनाईट डॉट कॉम (ninite.com)
एक ऐसा जालस्थल है जहाँ आप ढेरों मुफ़्त अनुप्रयोगों में से अपने मतलब के अनुप्रयोग चुन सकते हैं और यह आपके लिये एक विशिष्ट रूप से निर्मित इन्सटॉलर बना देगा जो आपके चुने हुये अनुप्रयोग विश्वजाल से डाउनलोड करके संस्थापित कर देगा।


28- फ़ोटोशॉप का एक और मुफ्त विकल्प
अगर फ़ोटोशॉप की उन्नत क्षमताओं की आवश्यकता न हो तो पेंट डॉट नेट अनुप्रयोग का इस्तेमाल किया जा सकता है। ध्यान रहे कि यह मुफ़्त तो है पर मुक्त नहीं है। यह http://www.getpaint.net/ पर उपलब्ध है।


29- फ़ोटोशॉप का एक मुफ्त और मुक्त विकल्प
अनुप्रयोग जिम्प के नाम से उपलब्ध है। क्षमताओं के हिसाब से यह फ़ोटोशॉप के बराबर है। दिखने में थोड़ा अलग होने के कारण कुछ लोग इसे आज़माने में हिचकते हैं परन्तु एक बार इसका अनुभव हो जाने पर महँगे फ़ोटोशॉप के बदले आप इसे ही प्रयोग करना चाहेंगे। यह http://www.gimp.org/  पर उपलब्ध है।


30- एम एस ऑफिस के मुफ्त और मुक्त विकल्प
के लिये ओपेन ऑफिस का प्रयोग किया जा सकता है। इसमें एम एस ऑफिस के लगभग सभी काम हो जाते हैं। इसमें वर्ड के विकल्प में राईटर, ऐक्स्ल के विकल्प में कैल्क तथा पावर पॉइंट के विकल्प में इम्प्रेस मिलते हैं। यह http://www.openoffice.org/  पर उपलब्ध है। इसके अन्य संस्करण http://go-oo.org/  तथा
http://www.libreoffice.org/  से भी उपलब्ध हैं।


31- पहले किये हुए काम को वापस लाना-
वर्ड, एक्सेल तथा अन्य कई अनुप्रयोगों में, Ctrl+Z दबाकर पिछला किया हुआ काम पलटा जा सकता है। जैसे अगर हमने गलती से कुछ मिटा (डिलीट कर) दिया हो तो Ctrl+Z से लेख वापस लाया जा सकता है।


32- लेख को सारणी में बदलना-
लेख को सारणी (टेबल) में बदलना झंझट का काम होता है। ऐसा करने के लिए पहले अपने लेख को अल्पविराम(कॉमा), टैब या किसी अन्य न इस्तेमाल किए हुए वर्ण से स्तम्भों को अलग करते हुए लिख लें। अब लेख को सैलेक्ट कर लें, फिर Table -> Convert -> Convert text to table पर क्लिक करें। आवश्यकतानुसार विकल्पों को बदल कर OK पर क्लिक करें। सारा लेख एक बार में सारणी में बदल जाएगा।


33- कूट शब्दों का प्रयोग-
अपने कंप्यूटर पर फाइलों (डॉक्यूमेंट) को गोपनीय रखने के लिए हम दो प्रकार के कूटशब्द का प्रयोग कर सकते हैं-
१) डॉक्यूमेंट को खोलने के लिए- डॉक्यूमेंट को खोलने के लिए यदि कूटशब्द लगाया गया है तो तो बिना सही कूटशब्द दिए डॉक्यूमेंट को खोला नही जा सकता है।
२) डॉक्यूमेंट में बदलाव के लिए दिया गया कूटशब्द- ऐसा कूटशब्द देने पर कोई भी हमारा कोई भी हमारा डॉक्यूमेंट खोल तो सकता है पर उसमें बदलाव नही कर सकता है।
इनमें से कोई भी कूटशब्द देने के लिए Save as > Tools > General Options में जाकर कूटशब्द दिया जा सकता है।


34- बुकमार्क या फेवरेट्स-
अगर हमें किसी जालपृष्ठ पर बार-बार जाने की आवश्यकता पड़ती है तो उसको हम अपने फेवरेट्स (Favorites) या बुकमार्क्स (Bookmarks) में जोड़ सकते हैं। फायरफॉक्स में जालपृष्ठ पर दाहिना क्लिक करके या बुकमार्क सूची में Bookmark This Page पर क्लिक करके बुकमार्क बन जाता हैं। इन्टरनेट एक्सप्लोरर मे यही काम करने के लिए बुकमार्क की जगह फेवरेट्स और बुकमार्क दिस पेज की जगह Add to favorites पर क्लिक करना होगा। क्रोम में तथा फायरफॉक्स में एड्रैस बार में तारे के चिन्ह पर क्लिक करके भी हम बुकमार्क बना सकते हैं।

35- अस्थाई फाइलों की छुट्टी-
हमारे कंप्यूटर पर बहुत सारे प्रोग्राम अपनी अस्थायी फाईलें बना लेते हैं जिनकी हमें ज़रुरत नही होती है। इनके कारण कंप्यूटर की गति काफी धीमी हो जाती है। Start Menu-> Programs-> Accessories-> System Tools-> Disc Cleanup से अपनी ड्राईव का चयन करके हम इन फाईलों को हटा सकते हैं।


36- विण्डोज़+E दबाने पर-
विंडोज एक्सप्लोरर या माई कंप्यूटर खुल जाता है। इस युक्ति के द्वारा हमें स्टार्ट बटन या माई कंप्यूटर ढूँढने की ज़रूरत नहीं होती, काम के बीच में ही हम बड़ी आसानी से अपनी फाईलों तक पहुँच सकते हैं।


37- विण्डोज़ में इन्स्क्रिप्ट का ऑनस्क्रीन कीबोर्ड-
के लिये Start>Run बक्से में जाकर osk लिखकर ऍण्टर दबायें। आपके सामने ऑनस्क्रीन कीबोर्ड आ जायेगा, फिर लैंग्वेज हॉटकी दबाकर हिन्दी भाषा में स्विच करें तो हिन्दी कीबोर्ड आपके सामने आ जायेगा।


38- किसी भी ब्राऊज़र में काम करते समय-
एक से ज्यादा टैब खुले होने पर Ctrl+F4 दबाने पर वर्तमान टैब बन्द हो जाता है। इसी प्रकार से ऑफ़िस में काम करते वक्त एक से ज्यादा डॉक्युमेन्ट्स खुले होने पर Ctrl+F4 दबाने पर वर्तमान डॉक्युमेन्ट बन्द हो जाता है|


39- Windows+M या Windows+D दबाने पर-
सारी खुली हुई विन्डोज़ एक साथ मिनिमाईज़ हो जाती हैं। Alt+F4 दबाने पर जिस विन्डो में आप काम कर रहे हैं वह बन्द हो जाती है।


40- इंटरनेट के उपयोग के लिये-
एड्रेस बार पर कुछ लिख कर Ctrl+Enter दबाने पर लिखे हुए शब्द के प्रारम्भ में www और अन्त में .com अपने आप लगाकर Enter दब जाता है।


41- एक कदम सुरक्षा का
अपने कम्पयूटर को सुरक्षित करने के लिए Control Panel-> User Account-> User पर जाकर पासवर्ड डाला जा सकता हैं। Windows+L दबाने पर कीबोर्ड और स्क्रीन इस प्रकार बंद हो जाता है जिसे पासवर्ड डाले बिना दुबारा चालू नहीं किया जा सकता। यह युक्ति तभी काम करती है जब पासवर्ड पहले से सेट किया हुआ हो।


42- बनाएँ वेब पेज का शार्ट कट
इन्टरनेट एक्सप्लोरर में स्क्रीन पर कहीं भी माउस का दाहिना बटन दबाए और खुलने वाली सूची में से क्रिएट शॉर्टकट चुनें। इससे जालपृष्ठ का शॉर्टकट बनकर डेस्कटॉप पर आ जाएगा। यह पन्ना बाद में कभी भी  यहाँ से आसानी से खोला जा सकता हैं।


43- एक क्लिक में समय और तिथि
नोटपैड या टेक्स्ट फाइल पर काम करते समय F5 'की' दबाकर जहाँ भी आवश्यकता हो, तात्कालिक समय और तिथि टंकित की जा सकती है।


44- यू एस बी-
यू एस बी एक पी सी से अन्य उपकरणों को जोड़ने के लिए एक मानक है जिसमें तारों की संख्या, कनेक्टर के आकार तथा उनपर चलने वाले विद्युत संकेत सभी निर्दिष्ट किए गए हैं। यू एस बी की दो विशेषताएँ हैं - (१) सांकेतिक तारों (सिग्नल वायरों) का विद्युत शक्ति उपलब्ध कराने के लिये भी उपयोग (इससे उपकरण को अलग से बिजली से जोड़ने की ज़रूरत नहीं पड़ती) तथा (२) कनेक्टरों की मज़बूती और आसान प्रयोग। यू एस बी आजकल पी सी से अन्य उपकरणों को जोड़ने के लिए सबसे लोकप्रिय मानक है और कई पुराने मानकों का स्थान ले चुका है।


45- ब्लू रे -
ब्लू रे सीडी तथा डीवीडी के विकास की अगली कड़ी है। जहाँ एक सीडी पर लगभग ७०० एम बी तथा एक डीवीडी पर लगभग ४ जी बी डेटा आ सकता है, वहीं एक ब्लू रे की क्षमता २५ जी बी होती है। इसकी ड्राईव तथा डिस्क महँगी होने के कारण कम प्रचलित है।

46- क्लाउड कम्पयूटिंग-
क्लाउड कम्पयूटिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा स्थान मुक्त स्वरूप से साँझे सरवर कम्पयूटरों तथा अन्य उपकरणों को उनके आवश्यक्तानुसार संसाधन (अनुप्रयोग, सौफ्टवेयर एवं डेटा ) तथा अन्य सेवायें उपलब्ध कराते हैं।

47- ब्राउज़र एक्सटेंशन-
यह एक ऐसा छोटा प्रोग्राम होता है जो ब्राउज़र के साथ जुड़कर उसकी क्षमताओं का विस्तार करता है। यह प्लगिन से भिन्न होता है क्योकि जहाँ प्लगिन के द्वारा ब्राउज़र नए प्रारूप की जानकारी पर काम कर सकता है वहीं एक्सटेंशन्स ब्राउज़र में पहले से उपलब्ध क्षमताओं को नए स्वरूप में प्रयोग करके उसकी क्षमताओं को निखारते हैं।
फायरफौक्स के ४५०० से आधिक एक्सटेंशन्स उपलब्ध हैं। क्रोम, सफारी, ऑपेरा के लिए भी काफी संख्या में एक्सटेंशन्स उपलब्ध हैं।

48- वेब होस्टिंग-
यह विश्वजाल पर प्रदान की जाने वाली एक ऐसी सेवा है जिसका प्रयोग करके कोई व्यक्ति अथवा संस्था अपने जालस्थल को लोगों तक पहुँचा सकता है। इसके द्वारा उनका जालस्थल विश्वजाल पर उपलब्ध हो जाता है और कोई भी उस तक पहुँच कर उसे देख सकता है।

49- प्लगिन(Plugin)-
किसी भी अनुप्रयोग (application) विशेषतः ब्राउज़र में लग जाने वाला एक अंश जो उस अनुप्रयोग की क्षमताओं को बढ़ा सकता है। उदाहरणतः ब्राउज़र के लिए फ़लैश प्लेएर(Flash player) एवं एक्रोबैट रीडर (Acrobat reader) प्लगिन के उदाहरण है।


50- कुकी(Cookie)-
कुकी किसी जालघर द्वारा आपके ब्राउज़र में रखी गयी छोटी सी जानकारी अथवा सूचना को कहते हैं। जो जालघर आपके ब्राउज़र पर कुकी रखता है केवल वही जालघर उस कुकी को वापस देख सकता है।


51- टॉप लेवल डोमेन-
किसी जालस्थल (वेबसाइट) के नाम का वह अंतिम भाग है, जो किसी नामांकन संस्था (डोमेन रजिस्ट्रार) के अधिकार में होता है और जिसके अन्तर्गत वह जालघर नामांकित होता है। उदाहरण के लिए www.abhivyakti-hindi.org में .org टॉप लेवल डोमेन है। और www.ignou.ac.in में .ac.in टॉप लेवल डोमेन है।

52- ब्राउजर-
एक ऐसा अनुप्रयोग जिसके द्वारा विश्वजाल (इंटरनेट) पर उपलब्ध जालस्थलों को देखा तथा उनपर काम किया जाता है। कुछ प्रचलित ब्राउज़र हैं - इंटरनेट एक्सप्लोरर, मोज़िला फ़ायरफ़ॉक्स, गूगल क्रोम एवं ऐप्पल सफ़ारी।

रविवार, 20 नवंबर 2016

रिसायकल बिन क्या है ? ( What is Recycle Bin ? )



रिसायकल बिन एक सिस्टम फोल्डर है जिसमे विंडोज उन आइटम्स को स्टोर करता है जिन्हें आप डिलीट कर देते हैं ।
अपने इच्छा अनुसार आइटम्स को उनके पुराने लोकेशन
( स्थान ) पर वापस भेजने के लिए या उन्हें अस्थाई तौर पर डिलीट करने के लिए रिसायकल बिन का प्रयोग कर सकते हैं ।

रिसायकल बिन की विशेषता ।

       
      Recycle Bin


(1)  आप रिसायकल बिन को ओपन कर इसके कंटेन्ट्स को देखने के लिए डेस्कटॉप पर प्रदर्षित हो रहे रिसायकल बिन के आइकॉन पर डबल क्लिक करें ।

(2)  वस्तुतः यहाँ रिसायकल बिन आइकॉन पर ड्रेग की गई ईटेम्स तब तक रहती है जब तक यहाँ से आप उसे रिमूव नहीं कर देते हैं या जब तक की वह हार्ड डिस्क पर उपलब्ध स्पेस का निर्धारित प्रतिशत का स्पेस न ले लें ।

(3)  आप जब किसी आइटम्स को डिलीट बटन दबाकर डिलीट करते हैं तब विंडोज उसे रिसायकल में दाल देता है ।

(4)  आप रिसायकल बिन पर मौजूद सभी आइटम्स या चुनिंदा आइटम्स जो उसके पुराने लोकेशन पर रिस्टोर कर सकते है ।

(5)  उपर्युक्त के अतिरिक्त रिसायकल बिन को सभी चुनिंदा आइटम्स को  खाली कर सकते हैं । ऐसा करने से वह आइटम्स स्थाई तौर पर डिलीट हो जाती है ।


मंगलवार, 23 अगस्त 2016

TCP प्रोटोकॉल क्या है ?


TCP का पूरा नाम

Transfer Control Protocol (ट्रान्सफर कण्ट्रोल प्रोटोकॉल)


TCP प्रोटोकॉल का कार्य:

इंटरनेट के प्रयोग के दौरान डाटा का आदान प्रदान उपयुक्त आकार के ब्लॉक के समूह जिन्हें पैकेट कहते है, के रूप में किया जाता है|TCP प्रोटोकॉल की जिम्मेदारी इन पैकेट का नेटवर्क के माध्यम से सही गंतव्य पर वितरण सुनिश्चित करना है|

ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल ( टीसीपी) इंटरनेट प्रोटोकॉल सुइट का मुख्य प्रोटोकॉल में से एक है| टीसीपी इंटरनेट द्वारा इस्तेमाल के लिए लोकप्रिय ” टीसीपी / आईपी ” संयोजन का हिस्सा है|

टीसीपी इंटरनेट पर यातायात को नियंत्रित करने में मदद करता है, ताकि यह अतिभारित न हो जाए|

IMAP क्या है ?



IMAP का पूरा नाम:

Internet Message Access Protocol (इंटरनेट मेसेज एक्सेस प्रोटोकॉल)


कंप्यूटिंग में, IMAP ईमेल सर्वर से TCP/IP कनेक्शन के माध्यम से ई-मेल की पुनः प्राप्ति और भंडारण के लिए प्रयोग किया जाने वाला प्रोटोकॉल है| यह OSI मॉडल के अनुसार एप्लीकेशन लेयर प्रोटोकॉल है|

IMAP का अविष्कार किसने और कब किया?

IMAP प्रोटोकॉल मार्क क्रिस्पिन द्वारा 1986 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय विकसित किया गया था, या ईमेल के प्रयोग किये जाने वाले एक अन्य प्रोटोकॉल POP के विकल्प के रूप में विकसित किया गया था|

IMAP कौनसे पोर्ट का प्रयोग करता है?

आम तौर पर IMAP सर्वर पोर्ट संख्या 143 पर सुनता है| एसएसएल पर IMAP ( IMAPS ) पोर्ट संख्या 993 सौंपा गया है|

POP प्रोटोकॉल क्या है?


POP का पूरा नाम क्या है?

Post Office Protocol (पोस्ट ऑफिस प्रोटोकॉल)


कंप्यूटिंग में, POP प्रोटोकॉल का प्रयोग स्थानीय ई-मेल क्लाइंट द्वारा एक टीसीपी / आईपी कनेक्शन पर एक रिमोट सर्वर से ई- मेल प्राप्त करने के लिए किया जाता है|

IMAP प्रोटोकॉल के विकास से पहले POP प्रोटोकॉल हो ईमेल प्राप्त करने के लिए प्रमुखता से प्रयोग किया जाता था|

यह एप्लीकेशन लेयर इंटरनेट स्टैण्डर्ड प्रोटोकॉल है,  जिसमे किसी रिमोट सर्वर से ईमेल आपके कंप्यूटर पर डाउनलोड किया जाते है और इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध न होने पर भी ईमेल यूजर के लिए उपलब्ध रहते है|